बनारस में रि‍यलि‍टी चेक : ऑटो वाले ने कहा – ‘हमारी गाड़ी से दरोगा जी का बेटा भी जाता है’ !

15401
बनारस समाचार: उत्तर प्रदेश के एटा में हुए स्कूली बस हादसे के बाद एटा में सरकारी तंत्र की पोल खुलकर सामने आ गयी। स्कूली गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन और ड्राइवरों की जांच पड़ताल पूरे प्रदेश में इस हादसे सबक लेते हुए शुरू की गयी। इसी जांच पड़ताल के बीच हमने वाराणसी के कई स्कूलों के बाहर बच्चों को ले जाने वाले वाहनों का रियलिटी चेक किया। हमारे सामने कई ऐसे तथ्य आये जिसपर प्रशासन को त्वरित कर्यवाही करनी होगी।

शहर के मिंट  हाउस स्थित एक प्रसिद्द कान्वेंट स्कूल में छुट्टी का समय 2 बजे के बाद का है। चारों तरफ छोटे प्राइवेट वाहन और स्कूल की बसें खड़ी है। स्कूल की छुट्टी के साथ बच्चों का स्कूल से आना शुरू हो गया। बहार कई पुराने माडल की बसें और चार पहिया वाहनों में बच्चों को भूसे की तरह भरा जाने लगा। हमारी टीम जब इसे कवर करने लगी तो गाड़ियों के ड्राइवरों ने बच्चों को चौराहे तक पैदल जाने की बात कही और उन्हें पैदल भेज दिया। हमने इस सम्बन्ध में जब गाडी ड्राइवर रमेश से पूछा तो उसने कहा कि ‘ हमारी गाडी में सिर्फ 23 बच्चे जाते है। क्या करें मजबूरी है अभिवावक हमनारे कहे अनुसार पैसा नहीं देते। जिसपर हमें मजबूरीवश ज्यादा बच्चे भरने पड़ते है। हमने जब गाडी की कागज़ और इंश्योरंस की तो वह कुछ नहीं बोला। कुछ ड्राइवरों से जब हमने गाडी के मेन्टेनेन्स की बात की तो बोले की दरोगा साहब और सिपाही जी के बच्चों को भी हम ले जायें और सब समस्या भी हमारे लिए।

स्कूल में अपने बच्चे को लेने आई गृहणी मीरा मिश्रा ने कहा कि ‘ एटा में जो भी हुआ वह दुखद है पर इसमें गलती अभिवावकों की है। जो बिना जांच पड़ताल के अपने मासूमों की जिंदगी से खिलवाड़ करते है। आज सभी जगह स्कूलों में ठेके पर बसें चलवाने का कम तेज़ी पर है। इसमें गाडी मालिक अपनी खराब गाड़ियों को स्कूलों में लगवा देते है ताकि कुछ पैसा मिलते रहे। इसी चक्कर में नौनिहालों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता। इस बारे में प्रशास्दन को ध्यान में रखना चाहिए।

प्रशासनिक अधिकारियों के बच्चे इस स्कूल में अत्यधिक संख्या में पढ़ते है ऐसे में वहां के ड्राइवरों का कहना है कि वो लोग हमसे पैसे कम करवा देते है और कहते है हम आप की मदद करेंगे इसी चक्कर में किसी भी गाडी का कोई भी कागज़ सही नहीं रहता। हमारी गाडी कि चेकिंग सिर्फ यातायात माह में होती है इसलिए ज़्यादातर ऐसे ही गाडी चला रहे है और बच्चों को भूसे की तरह भर रहे है।

(Aagaz India के इस समाचार को नीचे दिए गए लिंक की माध्यम से WhatsApp, Facebook और Twitter पर शेयर करें और पाइए ताज़ा खबरें)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here