वाराणसी : रामनगर - मां की डांट से नाराज मासूम छात्रा ने फांसी लगाकर दे दी जान
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वाराणसी : मां की डांट बेटी को इस कदर नागवार गुजरी कि उसने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। दिल दहला देने वाली ये घटना रामनगर के बघेली टोला की है। जहां एक मासूम ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।
प्राप्त जानकारी के अनुसार बीते दिन मंगलवार को रुचि नाम की एक मासूम छात्रा ने दुपट्टे के सहारे अपने ही घर में कमरे के अंदर फांसी लगाकर जान दे दी। जो कक्षा छठवीं की छात्रा थी।
मृतक रुचि सुबह स्कूल टाइम में अपने घर के बाहर खेल रही थी। जब उसकी मां ने उसे डांटा और स्कूल जाने के लिए कहा,रुचि स्कूल जाने के नाम पर आनाकानी करने लगी, जिससे की मां ने बेटी को गुस्से में आकर पिट दिया। फिर वह किसी तरह स्कूल जाने के लिए तैयार तो हुई लेकिन वो स्कूल न जाकर खुद को कमरे में अपने आपको अंदर से बंद कर लिया।
मां संध्या ने दरवाजा खुलवाने के लिए रुचि को आवाज लगाई और दरवाजे को खटखटाने लगी लेकिन उसके बावजूद भी उसने दरवाजा नही खोला। तब मां ने ये बात अपने पति संजन को बताई जो कि आज सुबह ही विंध्याचल दर्शन करने के लिए गए हुए थे।
जब ये बात पिता को मालूम हुई तो तुरंत वहां से भाग कर घर आए उनके भी आवाज देने पर जब कमरे का दरवाजा नही खुला तो गैस कटर की मदद से दरवाजा काटा गया। जब अंदर देखा गया तो मासूम रुचि दुपट्टे के सहारे फांसी लगाकर अपनी जिंदगी समाप्त कर चुकी थी। इस हृदयविदारक घटना को देखर मां सुधा वही पर बेहोश हो गई। पिता और भाई- बहनों का रो-रो कर बुरा हाल है।
ईस मार्मिक घटना की सूचना मिलते ही रामनगर पुलिस मौके पर पहुंची और शव को फंदे से उतरवाकर पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया। व फोरेंसिक टीम से साक्ष्य संकलन करवाया। मृतक रुचि साहित्यनका के ही एक प्राइवेट स्कूल में कक्षा छठवीं की छात्रा थी। मृतक रुचि के पिता संजन रामनगर थाना क्षेत्र के बघेली टोला में नगीना पटेल के मकान में किराए पर रहते है। और यही से अपना व्यापार करते है। रुचि अपने भाई बहनों में छोटी थी।
जब आगाज इंडिया की टीम ने एक मनोरोग विशेषज्ञ से इस बारे में बात की तो उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में किशोरावस्था के दौरान अपने बच्चों का ध्यान रखना जरूरी है। इस आयु वर्ग में बच्चा खुद का सबसे ज्यादा ख्याल रखता है। फिर भी यदि यदि बच्चा घर में या स्कूल में गुमसुम अवस्था में रहता है तो ऐसी स्थिति में माता पिता अपने बच्चों से बात जरूर करें। उसके बावजूद भी बच्चा परेशान दिखाई देता है तो उसकी किसी भी नजदीकी सरकारी या निजी मनोरोग विशेषज्ञ काउंसलिंग करवानी चाहिए। सरकार व शिक्षा विभाग को भी वर्तमान स्थितियों को देखते हुए सभी स्कूलों में साइकोलॉजिकल काउंसलर की नियुक्ति करनी चाहिए ताकि कोई भी बच्चा किसी भी वजह से अपना भविष्य बर्बाद न करे। और आगे ऐसी घटनाओं को घटित होने से बचाया जा सके।