जनपद में लागू धारा 144 की कानूनी सलाहकार समिति ने की समीक्षा - कहा क्या जिलाधिकारी का आदेश वैध है ?
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कानूनी सलाहकार समिति की एक आवश्यक बैठक श्री राजेश कुमार गुप्ता एडवोकेट की अध्यक्षता में आहूत किया गया, जिसमें वाराणसी में कोरोना संक्रमण के कारण धारा 144 द.प्र.सं. लगाये जाने की समिक्षा भी किया गया और कहा गया कि क्या उपरोक्त आदेश की वैधता प्रभावी हैं।
बैठक में अधिवक्ताओं ने कहाकि : धारा 144 द.प्र.सं. के तहत आदेश पारित करने की मंशा यह होता है कि विधिपूर्वक नियोजित ऐसे व्यक्ति को बाधा, क्षोभ या क्षति का, मानव- जीवन, स्वास्थ्य या क्षेम को खतरे का या लोक प्रशान्ति विक्षुब्ध होने का, या बलवें या दंगे के निवारण हेतु किया जाता हैं।
मजिस्ट्रेट एक के बाद एक उत्तरोत्तर (SUCCESSIVE) आदेश पारित करके उपधारा 4 द्वारा निर्धारित परिसीमा से परे आदेश के प्रर्वतन की अवधि में वृध्दि नहीं कर सकता है। वह इस धारा के अधीन मूल आदेश की पुष्टि अथवा पुनरावृत्ति करके दो मास की निर्धारित अवधि में वृद्धि नहीं कर सकता और न वह ऐसा कुछ और अधिक व्यक्तियों को पक्षकार बनाकर कर सकता है।
दो मास की अवधि के बाद बार बार इस धारा के अधीन आदेश अवैध हैं।
अधिवक्ताओ ने बताया कि धारा 144 द.प्र.सं. के अधीन पारित आदेश प्रशासकीय प्रकृति का होता है। न्यायिक अथवा अर्द्धन्यायिक प्रकृति का नहीं है। इसलिए यदि ऐसे आदेश से किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का हनन तथा अतिलंघन हुआ है तो संविधान के अनुच्छेद 32 या 226 के अधीन रिट- अधिकारिता का सहारा लिया जा सकता हैं।
बैठक को सम्बोधित करते हुए श्री राजेश कुमार गुप्ता एडवोकेट ने कहा कि
इस धारा के अधीन कोई आदेश उस आदेश के दिये जाने की तारीख से दो मास से आगे प्रवृत्त नहीं रहेगा।
बैठक का संचालन श्री रवि प्रकाश श्रीवास्तव ने किया।
बैठक में प्रमुख रुप से सर्वश्री- घनश्याम मिश्रा, अश्वनी कुमार, पंकज प्रकाश पाण्डेय, अजय सिंह, आर्दश श्रीवास्तव, मोO रिजवान, पवन सिंह, महेन्द्र सिंह, राघवेंद्र यादव पिन्टू, माधवेन्द्र सिंह, अंजनी पाठक, कुलदीप यादव, गोपाल कृष्ण आदि अधिवक्तागण उपस्थित रहें।